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अन्न से मन तक

हम सब अक्सर यह सुनते आए हैं ,”जैसा खाए अन्न,वैसा रहे मन जैसा पिए पानी वैसी रहे वाणी”। आज हम बात करेंगे क्या सच में ऐसा होता है अगर हां तो -कैसे? हमारे शरीर में जाने वाले उनका हमारे मन से गहरा संबंध है। अन्न को प्राप्त करने के लिए जिस तरह के साधनों का प्रयोग किया जाता है उसका सीधा प्रभाव ग्रहण करने वाले के मन पर पड़ता है, उसके सोचने के तरीके में पड़ता है। अन्न के गुणों के आधार पर उसी तीन प्रकार में बांटा गया है:
१. सात्विक
२. तामसिक
३. राजसी
सात्विक- हमारी संस्कृति में सात्विक भोजन को सबसे ज्यादा महत्व दिया गया है। सात्विक भोजन पूर्ण रूप से शाकाहारी ,हल्का ,ताजा ,तथा पोषक तत्वों से भरा हुआ होता है जोकि पचने में आसान होता है।
मानसिक प्रभाव: सातवी किया शुद्ध एवं पौष्टिक तत्वों से पूर्ण भोजन ना केवल शरीर के लिए बल्कि मनोस्थिति के लिए भी अत्यंत लाभकारी होता है। पारंपरिक तरीकों से तैयार किया गया सात्विक भोजन क्रोध ,आलस्य को दूर कर मस्तिष्क को शांत रखता है जो कि अंततः आपके व्यवहार को संतुलित एवं मधुर रखता है। खाया हुआ अन्न तीन प्रकार का हो जाता है स्थूल भाग ,मध्यम भाग और सूक्ष्म भाग। जो सूक्ष्म भाग है वह मन हो जाता है। अन केवल पेट भरने या शारीरिक ताकत के लिए ही नहीं बल्कि आपकी मन और आत्मा के व्यवहार को भी नियंत्रित करता है। भोजन बनाने वाला जिस तरह की मानसिक स्थिति में भोजन बनाता एवं परोसता है, उसी तरह की भावना उस भोजन के जरिए आप तक पहुंचती हैं। यही कारण है कि पुराने समय के रिश्तो एवं संबंधों को मधुर तथा मजबूत बनाने के लिए दोस्तों रिश्तेदारों को घर बुलाकर भोजन कराने की परंपरा अभी तक जीवित है। तभी यह भी कहा जाता है किसी के दिल का रास्ता उसके पेट से होकर गुजरता है। तू अगर आप अपनी भोजन से सभी पौष्टिक तत्व, फाइबर और आपकी भावनाएं अपनो तक पहुंचाना चाहते हैं तो जुड़िए हमारे साथ। green future private limited इंडिया में लेकर आए हैं बहुत ही छोटी लेकिन अद्भुत जर्मनी में बनी हुई घरेलू आटा चक्की।

यह आटा चक्की आपकी रसोई के लिए वरदान साबित होती है। यह चकिया 11 अलग-अलग मॉडल्स में लाई गई हैं आपकी जरूरतों को ध्यान में रखते हुए। सभी मौजूद इतने छोटे हैं कि आप ही ने अपनी रसोई की सलाह पर थोड़ी सी जगह में रख सकते हैं और जब मन चाहे तब आसानी से प्रयोग कर सकते हैं बिना किसी परेशानी के। आप जो भी चाहे वह अनाज जैसे गेहूं बाजरा मक्का चना चावल आदि जितना मर्जी बारीकियां मोटा भी सत्य है जितनी मात्रा में चाहे उतना। एक चम्मच अनाज भी इसमें पीसा जा सकता है। बिना नमी या तेल की सभी अनाज/ मसाले/ दाले इसमें पीसी जा सकती हैं। सिर्फ एक लीवर को घुमा कर दलिया और बेसन भी इसमें बनाया जा सकता है। इसकी बिजली की खपत बहुत कम है क्योंकि हमारी छोटी मशीनों में 360 वॉट और थोड़ी ज्यादा क्षमता वाली मशीनों में 600 वाट की मोटर लगी है जो कि पीसते वक्त बहुत कम आवाज करती है।इसे हर प्रयोग के बाद साफ करने की आवश्यकता बिल्कुल नहीं पड़ती क्योंकि इसके अंदर लगा क्लीनिंग ब्रश इसमें आता या मसाले को रहने नहीं देता। इन घरेलू आटा चक्कीयो में पिसाई के लिए प्रयोग होने वाले पत्थर सेरेमिक कोरंडम हमें पुराने समय की ओर ले जाता है जिसमें दो पाटों के बीच अनाज पीसा जाता था। यह तकनीक पीसते वक्त आठवीं को गर्म नहीं होने देती जिससे उसकी पौष्टिकता बरकरार रहती है। इस तरह हमारी ग्रीन फ्यूचर आटा चक्की आपके तन और मन दोनों का ख्याल रखने के लिए बेहतरीन है।
आपका दिन शुभ हो।।

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